Grah aur Rog: Planets and Diseases Remedies in Astrology | ग्रह दोष और स्वास्थ्य उपाय

Sooraj Krishna Shastri
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क्या आप जानते हैं कि हमारे शरीर के हर रोग का संबंध किसी न किसी ग्रह से होता है?

वैदिक ज्योतिष के अनुसार, सूर्य से लेकर शनि और राहु-केतु तक प्रत्येक ग्रह हमारे स्वास्थ्य, मानसिक स्थिति, और रोग प्रतिरोधक क्षमता को प्रभावित करता है।

इस लेख में विस्तार से बताया गया है कि कौन सा ग्रह किन शारीरिक अंगों का कारक है, उससे कौन-कौन सी बीमारियाँ होती हैं, और उनके वैदिक उपाय क्या हैं — जैसे सूर्य से हृदय और हड्डियों के रोग, चंद्र से मानसिक विकार, मंगल से रक्तजनित रोग, शुक्र से यौन रोग, शनि से दीर्घकालिक बीमारियाँ, तथा राहु-केतु से संक्रमण या विषाणुजनित रोग।

साथ ही यहाँ महामृत्युंजय मंत्र, आदित्यहृदय स्तोत्र, रत्न धारण और ग्रहवार उपायों का भी विस्तृत उल्लेख है।

👉 पढ़िए और जानिए — How Planets Affect Health and Diseases according to Astrology — with accurate remedies, mantras, and astrological insights.

Grah aur Rog: Planets and Diseases Remedies in Astrology | ग्रह दोष और स्वास्थ्य उपाय

Grah aur Rog: Planets and Diseases Remedies in Astrology | ग्रह दोष और स्वास्थ्य उपाय
Grah aur Rog: Planets and Diseases Remedies in Astrology | ग्रह दोष और स्वास्थ्य उपाय

🌞 ग्रह और उनसे संबंधित बीमारियाँ व उपाय

१. सूर्य (Surya) — पित्त प्रकृति का ग्रह

शरीर में भूमिका:
सूर्य स्वास्थ्य, जीवनशक्ति (Vitality) और प्रतिरोधक शक्ति का दाता है। यह हृदय, हड्डियाँ, दाहिनी आँख, सिर और रक्तसंचार से संबंधित है।

संभावित रोग:

  • सिरदर्द, गंजापन, उच्च रक्तचाप
  • हृदय रोग, हड्डियों की दुर्बलता
  • नेत्र रोग, मिर्गी, कुष्ठ रोग
  • पेट में गैस, जलन, बुखार, चोट, जलना
  • रक्तसंचार में गड़बड़ी, पित्त विकार

उपाय:

  • प्रातःकाल ताँबे के पात्र में जल लेकर सूर्य को अर्घ्य दें।
  • आदित्य हृदय स्तोत्र का नित्य पाठ करें।
  • रविवार को नमक रहित भोजन करें।
  • पुखराज (यदि सूर्य अनुकूल हो) धारण कर सकते हैं।

२. चंद्रमा (Chandra) — कफ और कुछ वात प्रकृति

शरीर में भूमिका:
चंद्रमा मन, भावनाएँ, रक्त व तरल तत्वों का नियंता है। यह बाईं आँख, स्त्रियों की मासिक प्रणाली और प्रजनन तंत्र से संबंधित है।

संभावित रोग:

  • मानसिक असंतुलन, अवसाद, अनिद्रा
  • क्षय रोग, फेफड़ों में पानी, खांसी-जुकाम
  • रक्त रोग, कफ जन्य रोग
  • स्त्रियों में माहवारी की अनियमितता
  • स्तनों के रोग, दूध के प्रवाह में विकार

संयुक्त प्रभाव:

  • चंद्र-मंगल योग — मासिक धर्म से जुड़ी समस्याएँ उत्पन्न कर सकता है।

उपाय:

  • सोमवार को दूध, चावल का दान करें।
  • चंद्र गायत्री मंत्र या “ॐ सोमाय नमः” का जाप करें।
  • श्वेत वस्त्र धारण करें व चंद्रमा को जल अर्पित करें।

३. मंगल (Mangal) — पित्त प्रधान ग्रह

शरीर में भूमिका:
मंगल शरीर की ऊर्जा, रक्त, अस्थि-मज्जा, मांसपेशियाँ और शल्य-शक्ति का कारक है।

संभावित रोग:

  • दुर्घटना, जलना, चोट, रक्तस्राव
  • बवासीर, पित्त की थैली में पथरी
  • उच्च रक्तचाप, चेचक, गर्भपात
  • सिर व गर्दन के ऊपर के रोग

उपाय:

  • मंगलवार को लाल चंदन से हनुमान जी की पूजा करें।
  • हनुमान चालीसा या मंगल बीज मंत्र का जाप करें —
    “ॐ क्रां क्रीं क्रौं सः भौमाय नमः”
  • लाल वस्त्र, मसूर दाल, गुड़ दान करना लाभकारी।

४. बुध (Budh) — त्रिदोष (वात-पित्त-कफ) संतुलक ग्रह

शरीर में भूमिका:
बुध त्वचा, गला, नाक, फेफड़े, मस्तिष्क का अग्र भाग नियंत्रित करता है।

संभावित रोग:

  • त्वचा रोग, हकलाना, तुतलाना
  • गूंगापन, बहरेपन, नाक-कान-गले की समस्या
  • मानसिक अस्थिरता, स्वप्नदोष
  • नपुंसकता, अचानक गिरना

उपाय:

  • बुधवार को हरे वस्त्र धारण करें।
  • ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं सः बुधाय नमः मंत्र का जप करें।
  • हरी मूँग, पन्ना, तुलसी का दान करें।

५. बृहस्पति (Brihaspati) — कफ प्रकृति एवं रोग-निवारक ग्रह

शरीर में भूमिका:
बृहस्पति अमाशय, तिल्ली, पित्ताशय, अग्नाशय, कान का अंदरूनी भाग नियंत्रित करता है। यह शरीर में चर्बी व स्थायित्व देता है।

संभावित रोग:

  • मोटापा, पीलिया, शुगर
  • पित्ताशय के रोग, तिल्ली संबंधी विकार
  • कान की समस्या, आलस्य, दीर्घकालिक रोग

उपाय:

  • बृहस्पति बीज मंत्र
    “ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरवे नमः”
  • गुरुवार से किसी दवा का सेवन प्रारंभ करना शुभ।
  • पीले वस्त्र पहनें, पीले चने का दान करें।

६. शुक्र (Shukra) — वात-कफ प्रकृति

शरीर में भूमिका:
शुक्र चेहरा, नेत्र ज्योति, यौन क्रियाएँ, मूत्र प्रणाली, किडनी, हार्मोनल संतुलन नियंत्रित करता है।

संभावित रोग:

  • नेत्र रोग, मोतियाबिंद
  • मूत्र विकार, प्रमेह, थायराइड
  • एड्स, नपुंसकता, यौन रोग
  • श्वेत कुष्ठ, त्वचा संबंधी रोग

उपाय:

  • शुक्रवार को श्वेत पुष्प अर्पित करें।
  • ॐ द्रां द्रीं द्रौं सः शुक्राय नमः मंत्र का जप करें।
  • दूध, चावल, सफेद वस्त्र, दही का दान करें।

७. शनि (Shani) — वात प्रधान ग्रह

शरीर में भूमिका:
शनि पैर, नसें, गुदा, बड़ी आँत, हड्डियों के जोड़, नाड़ी तंत्र से जुड़ा है।
इससे उत्पन्न रोग दीर्घकालिक या असाध्य होते हैं।

संभावित रोग:

  • गठिया, कैंसर, बवासीर, पैर की सूजन
  • थकान, हड्डियों की जकड़न, नसों में दर्द
  • पत्थर से चोट, रक्त की कमी

उपाय:

  • शनिवार को काले तिल, तेल, उड़द का दान करें।
  • ॐ शं शनैश्चराय नमः मंत्र का जाप करें।
  • पीपल वृक्ष के नीचे दीपक जलाएं।

८. राहु — शनि समान प्रभाव वाला ग्रह

शरीर में भूमिका:
राहु असाध्य, अचानक व मानसिक रोगों का कारण बनता है।

संभावित रोग:

  • त्वचा के फोड़े, कुष्ठ, डर, फोबिया
  • सर्पदंश भय, जख्म न भरना
  • मानसिक असंतुलन, भ्रम

संयुक्त प्रभाव:

  • राहु-चंद्र योग — मानसिक भय, चिंता, फोबिया।

उपाय:

  • शनिवार को नीले पुष्प व धूप से पूजा करें।
  • ॐ भ्रां भ्रीं भ्रौं सः राहवे नमः मंत्र का जप करें।
  • नीला कपड़ा या नील का दान करें।

९. केतु — रहस्यमय एवं अदृश्य प्रभाव वाला ग्रह

शरीर में भूमिका:
केतु संक्रमण, विषाणु, तंत्रिका विकारअस्पष्ट रोगों का कारक है।

संभावित रोग:

  • वायरल, स्वाइन फ्लू, मलेरिया, डेंगू
  • पेट में कीड़े, शल्य चिकित्सा की आवश्यकता
  • यदि बुध या द्वितीय भाव से जुड़ा हो — जन्मजात दोष, तुतलापन

उपाय:

  • मंगलवार या गुरुवार को “ॐ स्रां स्रीं स्रौं सः केतवे नमः” मंत्र जप करें।
  • कुत्तों को रोटी खिलाएं।
  • नींबू-मिर्च या पीली सरसों से नज़र दोष शांति करें।

🌼 सामान्य रोग निवारण उपाय

  1. महामृत्युंजय मंत्र का प्रतिदिन कम से कम एक माला जप करें —
    “ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगंधिं पुष्टिवर्धनम्।
    उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्॥”

  2. सूर्य अर्घ्य — ताँबे के पात्र में जल डालकर प्रातः सूर्य को अर्पित करें।

  3. आदित्यहृदय स्तोत्र का नित्य पाठ स्वास्थ्य रक्षक है।

  4. दवाओं का आरंभ गुरुवार से करें, क्योंकि बृहस्पति देव रोगनाशक ग्रह हैं।

  5. लग्न और लग्नेश को सुदृढ़ करें
    लग्न शरीर का, और लग्नेश उसकी कार्यशक्ति का प्रतीक होता है।
    लग्नेश का रत्न धारण करना अत्यंत लाभकारी होता है।


🌞 ग्रह, प्रकृति, बीमारियाँ एवं उपाय तालिका 

क्रम ग्रह प्रकृति / दोष शरीर के अंग / प्रभाव क्षेत्र संभावित बीमारियाँ प्रमुख उपाय
1 सूर्य (Surya) पित्त प्रकृति हृदय, हड्डियाँ, दाहिनी आँख, सिर, रक्तसंचार सिरदर्द, हृदय रोग, नेत्र रोग, हड्डी रोग, बुखार, जलना, चोट ताँबे के पात्र से सूर्य को अर्घ्य दें, आदित्यहृदय स्तोत्र पाठ करें, रविवार को नमक रहित भोजन करें
2 चंद्रमा (Chandra) कफ + वात मन, रक्त, फेफड़े, बाईं आँख, स्त्री प्रजनन तंत्र मानसिक रोग, खांसी, फेफड़ों में पानी, माहवारी विकार, स्तन रोग सोमवार को दूध-चावल का दान, “ॐ सोमाय नमः” जप, चंद्र को जल अर्पण
3 मंगल (Mangal) पित्त रक्त, अस्थि-मज्जा, सिर, मांसपेशियाँ दुर्घटना, जलना, चोट, बवासीर, गर्भपात, उच्च रक्तचाप मंगलवार को हनुमान चालीसा पाठ, लाल चंदन से पूजा, लाल वस्त्र धारण
4 बुध (Budh) त्रिदोष (वात-पित्त-कफ) त्वचा, गला, नाक, फेफड़े, मस्तिष्क त्वचा रोग, हकलाना, तुतलाना, बहरेपन, मानसिक अस्थिरता बुधवार को हरे वस्त्र, “ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं सः बुधाय नमः” जप, हरी मूँग दान
5 बृहस्पति (Brihaspati) कफ प्रधान, रोग निवारक अमाशय, तिल्ली, पित्ताशय, कान का अंदरूनी भाग मोटापा, पीलिया, शुगर, पित्ताशय व तिल्ली के रोग गुरुवार से दवा शुरू करें, “ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरवे नमः” जप, पीले चने का दान
6 शुक्र (Shukra) वात + कफ नेत्र, चेहरा, मूत्र व यौन तंत्र, किडनी नेत्र रोग, प्रमेह, एड्स, नपुंसकता, थायराइड शुक्रवार को श्वेत पुष्प अर्पित करें, “ॐ द्रां द्रीं द्रौं सः शुक्राय नमः” जप, दूध-चावल दान
7 शनि (Shani) वात प्रधान पैर, हड्डियाँ, नसें, गुदा, बड़ी आँत गठिया, कैंसर, बवासीर, पैर दर्द, थकान शनिवार को काले तिल, तेल, उड़द दान, “ॐ शं शनैश्चराय नमः” जप, पीपल के नीचे दीपक जलाएँ
8 राहु (Rahu) शनि समान प्रभाव त्वचा, तंत्रिका तंत्र, मानसिक स्तर कुष्ठ, छाले, भय, फोबिया, जख्म न भरना शनिवार को नीले पुष्प अर्पित करें, “ॐ भ्रां भ्रीं भ्रौं सः राहवे नमः” जप
9 केतु (Ketu) अदृश्य / रहस्यमय संक्रमण, तंत्रिकाएँ, पेट, विषाणु डेंगू, मलेरिया, स्वाइन फ्लू, पेट के कीड़े, वायरल “ॐ स्रां स्रीं स्रौं सः केतवे नमः” जप, कुत्तों को रोटी खिलाएँ, नींबू-मिर्च प्रयोग

🌼 सामान्य रोग निवारक उपाय तालिका 

उपाय विवरण
महामृत्युंजय मंत्र जप प्रतिदिन एक माला जपें — “ॐ त्र्यम्बकं यजामहे…”
सूर्य अर्घ्य प्रातः ताँबे के पात्र से सूर्य को जल अर्पण करें
आदित्यहृदय स्तोत्र नित्य पाठ से समस्त ग्रहदोषों से मुक्ति
गुरुवार से दवा प्रारंभ बृहस्पति देव के कारण रोग निवारण में सहायक
लग्न-लग्नेश को सुदृढ़ करें लग्नेश का रत्न धारण करें — यह शरीर की क्षमता को बढ़ाता है

🌞 “हर ग्रह का सीधा असर हमारे शरीर पर होता है।”

जानिए कौन-सा ग्रह देता है कौन-सी बीमारी और क्या हैं उसके सरल वैदिक उपाय —

✨ सूर्य से शनि, राहु-केतु तक का सम्पूर्ण ज्योतिषीय स्वास्थ्य विश्लेषण ✨

🔗 [ग्रह और रोग उपाय – Complete Astro Health Guide]

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