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ज्योतिष: ग्रहों का आत्मादि विभाग (श्लोक एवं भावार्थ सहित) |
ज्योतिष: ग्रहों का आत्मादि विभाग (श्लोक एवं भावार्थ सहित)
श्लोक ३
सर्वात्मा च दिवानाथो मन: कुमुदबान्धव:।सत्त्वं कुजो बुधेः प्रोक्तो बुधो वाणीप्रदायकः॥
भावार्थ:
सूर्य समस्त चराचर जगत् का आत्मा (प्राण-स्रोत) है। चन्द्रमा मन का प्रतिनिधि है। मंगल ग्रह सत्त्व (साहस, बल, पराक्रम) का प्रतीक है। बुध वाणी (वाक्शक्ति, संवाद क्षमता) प्रदान करने वाला है।
श्लोक ४
देवेज्यो ज्ञानसुखदो भृगुर्वीर्यप्रदायकः।ऋषिभिः प्राक्तनैः प्रोक्तश्छायासूनुश्च दुःखदः॥
भावार्थ:
देवगुरु बृहस्पति ज्ञान और सुख का दाता है। भृगुवंशज शुक्र वीर्य (जीवनशक्ति एवं कामसुख) का दाता है। प्राचीन ऋषियों ने छायापुत्र शनि को दुःख देने वाला (कष्टकारक) कहा है।
श्लोक ५
रविचन्द्रौ तु राजानौ नेता ज्ञेयो धरात्मजः।बुधो राजकुमारश्च सचिवौ गुरुभार्गवी॥
भावार्थ:
सूर्य और चन्द्रमा दोनों राजा माने जाते हैं। मंगल (धरात्मज) सेनापति (सेना प्रमुख) के रूप में जाना जाता है। बुध राजकुमार के समान है तथा बृहस्पति एवं शुक्र मन्त्री के तुल्य हैं।
श्लोक ६
प्रेष्यको रविपुत्रश्च सेना स्वर्भानुपुच्छकौ।एवं क्रमेण वै विप्र! सूर्यादीन् प्रविचिन्तयेत्॥
भावार्थ:
सूर्यपुत्र शनि को प्रेष्य (सेवक, दूत) माना गया है। राहु और केतु सेना के प्रतिनिधि माने जाते हैं।
हे विप्र! इस प्रकार क्रमपूर्वक सूर्यादि ग्रहों का ध्यानपूर्वक विचार करना चाहिए।
संक्षिप्त सारांश :
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सूर्य : समस्त चराचर का आत्मा, राजा
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चन्द्रमा : मन का प्रतिनिधि, राजा
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मंगल : सत्त्व (साहस), सेनापति
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बुध : वाणी का दाता, राजकुमार
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बृहस्पति : ज्ञान व सुख का दाता, मन्त्री
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शुक्र : वीर्य व भोग-सुख का दाता, मन्त्री
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शनि : दुःखदाता, सेवक (प्रेष्य)
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राहु-केतु : सेना के प्रतिनिधि
विशेष टिप्पणी :
यह आत्मादि विभाग ग्रहों की तात्त्विक शक्तियों का दिग्दर्शन कराता है, जो जातक के जीवन के विविध आयामों (प्राण, मन, शक्ति, वाणी, ज्ञान, सुख, कर्मफल आदि) को प्रभावित करते हैं। ज्योतिष शास्त्र में शुभाशुभ विचार इसी आधार पर किया जाता है।
"ग्रहों का आत्मादि विभाग" का एक सुंदर चार्ट (तालिका)
ग्रह | भूमिका / प्रतिनिधित्व | स्थिति |
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सूर्य (रवि) | समस्त चराचर का आत्मा, राजा | आत्मा, राजा |
चन्द्रमा (सोम) | मन का प्रतिनिधि, राजा | मन, राजा |
मंगल (कुज) | सत्त्व (साहस, बल), सेनापति | सत्त्व, सेनापति |
बुध | वाणी का दाता, राजकुमार | वाणी, राजकुमार |
बृहस्पति (गुरु) | ज्ञान व सुख का दाता, मन्त्री | ज्ञान-सुख, मन्त्री |
शुक्र (भृगु) | वीर्य व भोग-सुख का दाता, मन्त्री | वीर्य-भोग, मन्त्री |
शनि (छायासूनु) | दुःखदाता, सेवक (प्रेष्य) | दुःखदाता, प्रेष्य |
राहु | सेना का प्रतिनिधि | सेना |
केतु | सेना का प्रतिनिधि | सेना |
नोट:
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"प्रेष्य" का अर्थ है दूत या सेवक — यहाँ शनि की सेवकीय भूमिका को इंगित करता है।
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राहु और केतु को 'सेना' के रूप में ग्रहों के परिप्रेक्ष्य में वर्णित किया गया है।
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