नवग्रहों के वस्त्र, धातु, स्थान एवं रंग — श्लोक सहित तालिका

Sooraj Krishna Shastri
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 यहां पर जो श्लोक उद्धृत किया गया है वह नवग्रहों के वस्त्र, आसन-स्थान, धातु, और रंग संबंधी गूढ़ विवरण प्रस्तुत करता है। यह विशेष रूप से ग्रहशांति, नवरात्रि पूजा, होम, हवन, यज्ञ, मूर्ति-निर्माण, नवरत्न, और तंत्रकर्म आदि में अत्यंत उपयोगी है।

यह एक पूर्ण सारणी (Comprehensive Chart) – श्लोक सहित – जिससे अध्ययन, स्मरण, और प्रस्तुति दोनों सहज हो जाएँ:

नवग्रहों के वस्त्र, धातु, स्थान एवं रंग — श्लोक सहित तालिका
नवग्रहों के वस्त्र, धातु, स्थान एवं रंग — श्लोक सहित तालिका



👘 नवग्रहों के वस्त्र, धातु, स्थान एवं रंग — श्लोक सहित तालिका

🔯 ग्रह 👘 वस्त्र 🌈 रंग 🪔 स्थान 🪙 धातु / रत्न 📜 संबंधित श्लोक
सूर्य रक्तवर्ण क्षौम / रेशमी लाल / केसरिया अग्निकुंड, दीप, उच्च भूमि ताम्र (ताँबा) / माणिक्य रक्तक्षौमं भास्करस्य
चन्द्रमा श्वेत क्षौम / रेशमी सफेद / दूधिया जलाशय, तालाब, कूप रजत (चाँदी) / मोती इन्दोः क्षौमं सितं द्विज
मंगल रक्तवस्त्र / साधारण रक्त / मृदुल लाल युद्धक्षेत्र, खदान, अग्निगृह लोहा / मूंगा रक्तवस्त्रं कुजस्थ च
बुध कृष्ण क्षौम हरा, श्याम, काला बाजार, वाणी स्थल कांसा / पन्ना बुधस्य कृष्णक्षौमं तु
गुरु पीताम्बर / पीतवर्ण रेशमी पीला / हल्दी जैसा देवालय, यज्ञस्थल सुवर्ण / पुखराज गुरोः पीताम्बरं विप्र
शुक्र कोमल क्षौम / रेशमी उज्ज्वल श्वेत, गुलाबी शयनागार, सुगंधित स्थल चाँदी / हीरा भृगोः क्षौमं तथेव च
शनि चित्र वस्त्र / मोटा कपड़ा नीला / काला / चितकबरा बाँबी, अंधकार, भूमिगत लोहा / नीलम वस्त्र चित्र शनेर्विप्र
राहु चित्रकन्था / गुदड़ी धूसर / अनेक रंग गुफा, बाँबी, बिल सीसा / गोमेद चित्रकन्था फणीन्द्रस्य
सीसं राहोः
केतु छिद्रयुक्त वस्त्र धूसर / जर्जर धुंआधार, रहस्यमय स्थान नीलमणि / लहसुनिया केतोश्छिद्रयुतो द्विज
नीलमणिः केतोर्ज्ञेयः

🕉️ संस्कृत श्लोक (श्लोक 42–44)

शिखि स्वर्भानुमन्दानां वल्मीकं स्थानमुच्यते ।
चित्रकन्था फणीन्द्रस्य केतोश्छिद्रयुतो द्विज ॥४२॥

सीसं राहोर्नीलमणिः केतोर्ज्ञियो द्विजोत्तम ।
गुरोः पीताम्बरं विप्र! भृगो: क्षौमं तथैव च ॥४३॥

रक्तक्षौमं भास्करस्य इन्दोः क्षौमं सितं द्विज ।
बुधस्य कृष्णक्षौमं तु रक्तवस्त्रं कुजस्थ च ॥

वस्त्र चित्र शनेर्विप्र! पट्टवस्त्रं तथैव च ॥४४॥


🔎 प्रयोगिक उपयोग:

क्रिया ग्रहवस्त्र का प्रयोग
ग्रह शांति पूजा ग्रह विशेष के वस्त्र को यज्ञ में चढ़ाना
नवरत्न धारणा उपयुक्त वस्त्र पहनकर धारण करना
ग्रह तर्पण / दान वस्त्र व धातु का दान, ग्रह दोष निवारण हेतु
मूर्ति निर्माण ग्रह की मूर्ति या यंत्र पर उक्त रंग/वस्त्र चढ़ाना

🧾 नोट्स:

  • “क्षौम” – रेशमी, कोमल, महीन मलमल जैसे कपड़ों को सूचित करता है।
  • राहु-केतु के वस्त्र – विशेष रूप से फटे, गुदड़ी, छिद्रयुक्त – इनके छाया ग्रह स्वरूप और विकारदायक प्रभाव के प्रतीक हैं।
  • "वल्मीक" – भूमिगत, रहस्यमय, अस्पष्ट, अंधकारमय स्थान का प्रतीक – राहु, केतु, शनि के लिए।

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