यहां जो श्लोक प्रस्तुत किए गए हैं, वे ग्रहों के विविध बलों (बलों के प्रकार) से संबंधित हैं — जो होरा, शड्बल, और प्रश्न ज्योतिष में अत्यंत महत्त्व रखते हैं। आइए इन श्लोकों के आधार पर एक व्यवस्थित व्याख्या करें:
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ग्रहों के बलों के प्रकार और उनके निर्धारण सूत्र |
🔯 ग्रहों के बलों के प्रकार और उनके निर्धारण सूत्र
क्रम | बल का नाम | अर्थ/नियम |
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1️⃣ | दिग्बल (दिशा बल) | ग्रह विशिष्ट दिशा में या लग्न में बलवान् होता है |
2️⃣ | कालबल (समय बल) | दिन-रात्रि, पक्ष, अयन आदि के अनुसार ग्रह बलवान् होते हैं |
3️⃣ | चेष्टाबल | ग्रह की गति (वक्री, मार्गी, अस्त आदि) से |
4️⃣ | नैसर्गिक बल (निसर्गबल) | जन्मजात स्वाभाविक बल, सभी ग्रहों में तुलनात्मक रूप में |
5️⃣ | होराबल / वारबल / मासबल / वर्षबल | ग्रह अपने दिन, समय, माह, वर्ष आदि में बलवान |
1️⃣ 🔭 दिग्बल (दिशा बल)
(श्लोक – 36)
श्लोक
बुधेज्यौ बलिनौ पूर्वे रवि-भौमौ च दक्षिणे ।
पश्चिमे सूर्यपुत्रश्च सित-चन्द्रौ तथोत्तरे ॥३६॥
दिशा/स्थान | बलवान ग्रह 🌟 |
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पूर्व (लग्न) | बुध, गुरु (शुभ) |
दक्षिण (दशम) | सूर्य, मंगळ (उग्र/तेजस्वी) |
पश्चिम (सप्तम) | शनि (विलंबकारी) |
उत्तर (चतुर्थ) | शुक्र, चन्द्र (शीतल, सौम्य) |
👉 लाभ: प्रश्न/जन्म कुण्डली में ग्रह इन स्थानों में हों तो उन्हें दिग्बल मिलता है।
2️⃣ 🌒 कालबल (समय बल)
(श्लोक – 37–39)
🔹 दिन व रात्रि बल
निशायां बलिनश्चन्द्र-कुज-सौरा भवन्ति हि ।
सर्वदा ज्ञो बली ज्ञेयो दिने शेषा द्विजोत्तम ॥३७॥
कालखंड | बलवान ग्रह |
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रात्रि | चन्द्रमा, मंगळ, शनि |
दिवस | सूर्य, शुक्र, गुरु |
सदैव | बुध (हर समय बली) |
🔹 पक्ष बल
कृष्णे च बलिन: करा: सौम्या वीर्ययुता: सिते ।
पक्ष | बलवान ग्रह |
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कृष्ण पक्ष | क्रूर ग्रह – सूर्य, मंगळ, शनि |
शुक्ल पक्ष | शुभ ग्रह – चन्द्र, बुध, गुरु, शुक्र |
🔹 अयन बल
सौम्यायने सौम्यखेटो बली याम्यायने पर: ॥३८॥
अयन | बलवान ग्रह 🌗 |
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उत्तरायण | शुभ ग्रह – चन्द्र, बुध, गुरु, शुक्र |
दक्षिणायण | क्रूर ग्रह – सूर्य, मंगळ, शनि |
🔹 वर्ष, मास, वार, होरा बल
वर्षमासाहहोराणां पतयो बलिनस्तथा ।
बल का प्रकार | बलवान ग्रह |
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वर्षबल | वर्षेश (Varsha lord) |
मासबल | मासेश (Month lord) |
वारबल | वारेश (Weekday lord) |
होराबल | अपनी होरा का स्वामी ग्रह |
👉 जैसे रविवार में सूर्य बली, सोमवार में चन्द्रमा, और इसी प्रकार।
3️⃣ 🌀 नैसर्गिक बल (Natural Strength)
शमंबुगुशुचंराद्या वृद्धितो वीर्यवत्तरा: ॥३९॥
यह ग्रहों की जन्मजात या स्वाभाविक शक्ति है, जो उनकी प्रकृति पर आधारित होती है:
बलानुक्रम | ग्रह |
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1️⃣ (न्यूनतम) | शनि |
2️⃣ | मंगळ |
3️⃣ | बुध |
4️⃣ | गुरु |
5️⃣ | शुक्र |
6️⃣ | चन्द्र |
7️⃣ (अधिकतम) | सूर्य |
👉 निष्कर्ष: सूर्य सबसे अधिक नैसर्गिक बल वाला ग्रह माना गया है।
🔍 निष्कर्ष (Summary Insight)
- प्रश्न कुंडली, जन्म कुंडली और मुहूर्त निर्णय में इन बलों का योगफल और सापेक्षता देखकर ही निर्णय लिया जाता है।
- ग्रहों के दिग्बल व कालबल का विचार विशेष रूप से रोग निवारण, विवाह, संतान, यात्रा आदि प्रश्नों में अत्यंत उपयोगी है।