ग्रहों की संज्ञाएँ: धातु, मूल, जीव तथा नैसर्गिक आयु
यहां जो श्लोक प्रस्तुत किए गए हैं वे ज्योतिष शास्त्र में ग्रहों की प्रकृति को समझने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। आइए इसे सारणी सहित स्पष्ट करते हैं:
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ग्रहों की संज्ञाएँ: धातु, मूल, जीव तथा नैसर्गिक आयु |
🌟 ग्रहों की संज्ञाएँ: धातु, मूल, जीव
(श्लोक 47-48 के आधार पर)
🔯 ग्रह | 🔧 धातु संज्ञा | 🌱 मूल संज्ञा | 👤 जीव संज्ञा |
---|---|---|---|
☊ राहु | ✔️ | ❌ | ❌ |
♂ मंगल | ✔️ | ❌ | ❌ |
♄ शनि | ✔️ | ❌ | ❌ |
☽ चन्द्रमा | ✔️ | ❌ | ❌ |
☉ सूर्य | ❌ | ✔️ | ❌ |
♀ शुक्र | ❌ | ✔️ | ❌ |
☿ बुध | ❌ | ❌ | ✔️ |
♃ गुरु | ❌ | ❌ | ✔️ |
☋ केतु | ❌ | ❌ | ✔️ |
📜 श्लोक 47:
राह्वार पंगुचन्द्राश्च विज्ञेया धातुखेचरा: ।मूलग्रहौ सूर्यशुक्रौ अपरा जीवसंज्ञकाः ॥४७॥
भावार्थ:
- राहु, मंगल, शनि, चन्द्र – ये धातु संज्ञक ग्रह हैं (इनका संबंध शारीरिक तत्वों से है – रक्त, मज्जा, अस्थि आदि)।
- सूर्य और शुक्र – मूल संज्ञक (मूल कारण या शक्ति)।
- बुध, गुरु, केतु – जीव संज्ञक (प्राण, बुद्धि, चेतना आदि के प्रतीक)।
🧓 ग्रहों में वृद्धत्व और नैसर्गिक आयु:
📜 श्लोक 48:
ग्रहेषु मनदो वृद्धोषस्ति आयुर्वद्धिप्रदायकः ।नैसर्गिके बहुसमान् ददाति द्विजसत्तम ॥४८॥
भावार्थ:
- मनदः = शनि
- शनि को सर्वाधिक वृद्ध (वयोवृद्ध) ग्रह माना गया है।
- यह नैसर्गिक रूप से दीर्घायु और आयु-वर्धक प्रभाव देने वाला ग्रह है।
- नैसर्गिक आयु वितरण की दृष्टि से शनि सबसे अधिक वर्ष देता है (सामान्यतः 20 वर्ष तक)।
🧠 नैसर्गिक आयु फलादेश (संदर्भ – बृहत्पाराशर)
ग्रह | नैसर्गिक आयु (वर्ष में) |
---|---|
☉ सूर्य | 20 वर्ष |
☽ चन्द्र | 25 वर्ष |
♂ मंगल | 15 वर्ष |
☿ बुध | 32 वर्ष |
♃ गुरु | 20 वर्ष |
♀ शुक्र | 21 वर्ष |
♄ शनि | 36 वर्ष (अधिकतम) |
☊☋ राहु-केतु | चायाशील, सापेक्ष प्रभाव |
📘 शास्त्रीय भाषा की विशेषता – "आर्ष प्रयोग":
आपका अंतिम वाक्य अत्यंत मर्मस्पर्शी है –
"प्रस्तुत ग्रन्थ में वर्तमान संस्कृत व्याकरण के नियमों का पालन नहीं दिखता है...इसे 'आर्ष' प्रयोग मानना चाहिए।"
यह तथ्य महाभारत, रामायण, वेद, पुराण और ज्योतिष शास्त्रों जैसे ग्रंथों के भाषिक स्वरूप में बहुत सामान्य है। पाणिनीय व्याकरण के पूर्वकालीन इन रचनाओं में:
- धातु प्रयोगों में स्वच्छंदता,
- संधियों में लचीलापन,
- लोकभाषा के अंश,
- और क्षेत्रीय भाषायी विशेषताएँ,पाई जाती हैं।
इसे 'आर्ष वाक्य-शैली' कहा गया है, जिसे गुरुजनों द्वारा प्रेरित एवं अनुमोदित शैली माना गया है।
🔚 निष्कर्ष:
- राहु, मंगल, शनि, चन्द्र – शरीर की धात्विक स्थिति से जुड़े।
- सूर्य और शुक्र – मूल तत्त्व या शक्ति के रूप में।
- बुध, गुरु, केतु – चेतना, ज्ञान, बुद्धि, जीव की संज्ञा से जुड़े।