“जानिए Banking Seva Yog क्या है। कुंडली में द्वितीय भाव, दशम भाव, गुरु, शुक्र-शनि व बुध-गुरु योग कैसे बैंक नौकरी, PO, Manager या वित्तीय करियर बनाते हैं।”
“Kundli me bank job ke jyotish yog—2nd & 10th house, Jupiter, Venus-Saturn relation, Budh-Guru parivartan yog se banking career kaise banta है, पूरी जानकारी।”
Banking Career Astrology: Kundli Mein Bank Naukri Ke Shubh Yog (बैंकिंग सेवा योग)
🌸 बैंकिंग सेवा योग — विस्तृत एवं व्यवस्थित ज्योतिषीय विवेचना 🌸
बैंकिंग क्षेत्र में नौकरी, पद, प्रमोशन तथा वित्तीय संस्थानों में स्थायी करियर किन योगों से प्राप्त होता है—यह प्रश्न अक्सर छात्रों व साधकों द्वारा पूछा जाता है। ज्योतिष शास्त्र में धन, बुद्धि, लेखा, प्रबन्धन, निर्णय क्षमता और आजीविका इन सबका सूक्ष्म अध्ययन करके बैंकिंग सेवा योग का निर्धारण किया जाता है।
नीचे दिए गए योग शास्त्रीय दृष्टि से अत्यंत प्रभावी माने गए हैं—
⭐ 1. द्वितीय भाव (धन भाव) और दशम भाव (आजीविका) का परस्पर संबंध
- द्वितीय भाव धन, संग्रह, वित्त, लेखा, कैश-हैंडलिंग तथा बैंकिंग से सीधा जुड़ा भाव है।
- दशम भाव आजीविका, पद, प्रतिष्ठा और सेवा का कारक है।
- यदि द्वितीयेश (2nd lord) बली होकर दशम भाव/दशमेश से संबंध करता है, तो जातक को—
- बैंकिंग क्षेत्र में नौकरी
- सरकारी बैंक में स्थायी सेवा
- वित्तीय प्रबंधन (Finance Management)
- लेखा/ऑडिट/कैश विभागमें सफलता अवश्य मिलती है।
यह संबंध किसी भी रूप में हो सकता है—
- युति (Conjunction)
- दृष्टि (Mutual Aspects)
- परस्पर ग्रहण (Parivartan Yoga)
- दशम भाव में द्वितीयेश का स्थान
⭐ 2. बृहस्पति (गुरु) का दशम या लग्न से संबंध
बृहस्पति शुभ, धन, प्रबन्धन, संस्था, बैंकिंग और सलाहकार (Advisor) क्षेत्र का प्रमुख कारक ग्रह है।
- लग्नेश अथवा दशमेश पर गुरु की दृष्टि
- गुरु का दशम भाव में होने
- गुरु-दशमेश युति
इनसे जातक—
- बैंक अधिकारी
- लेखा अधिकारी
- वित्त सलाहकार
- बैंक मैनेजर
- निवेश सलाहकार (Investment Advisor)जैसे पदों पर पहुँचता है।
✦ गुरु की शुभ दृष्टि सेवा को स्थिर बनाती है और बैंकिंग करियर को दीर्घकालिक सफलता देती है।
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| Banking Career Astrology: Kundli Mein Bank Naukri Ke Shubh Yog (बैंकिंग सेवा योग) |
⭐ 3. शुक्र और शनि का परस्पर संबंध
कालपुरुष कुंडली में—
- शुक्र = द्वितीयेश (धन)
- शनि = दशमेश (आजीविका)
इसलिए शुक्र–शनि संबंध को “बैंक ऑफिसर योग” कहा जाता है।
संबंध के प्रकार—
- युति
- दृष्टि
- राशि परिवर्तन
- एक-दूसरे की मित्र राशि में होना
- एक-दूसरे को बल प्रदान करना (परस्पर बल)
इन योगों वाले जातक—
- बैंक PO
- शाखा प्रबंधक (Branch Manager)
- बैंक परीक्षा में सफल
- वित्तीय विभाग में सरकारी अधिकारीबनते देखे जाते हैं।
✦ शनि अनुशासन देता है और शुक्र गणना एवं वित्तीय क्षमता—इसलिए यह संयोजन बैंकिंग के लिए अत्यंत शुभ।
⭐ 4. दशम भाव या दशमेश पर गुरु की दृष्टि
गुरु की सप्तम, पंचम, नवम दृष्टियाँ अत्यंत शुभ मानी जाती हैं।
यदि—
- गुरु दशम भाव को देख रहा हो
- दशमेश (10th lord) को देख रहा हो
- या दशमेश के साथ युति कर रहा हो
तो जातक को—
- बैंकिंग में स्थिर नौकरी
- पदोन्नति
- परीक्षाओं में सफलता
- मजबूत करियरमिलता है।
यह योग शुभफलदायक बैंक अधिकारी योग माना गया है।
⭐ 5. बुध–गुरु राशि परिवर्तन (Parivartan Yoga)
- बैंक में अधिकारी स्तर
- वित्तीय सलाहकार
- ऑडिटर, चार्टर्ड अकाउंटेंसी
- वित्त प्रबंधकजैसे पदों को प्राप्त करता है।
✦ यह योग विशेष रूप से “सटीक गणना + वित्तीय ज्ञान” का मेल बनाता है।
⭐ 6. अन्य सहायक योग
- बुध-शुक्र संबंध – लेखा, आईटी-बैंकिंग, क्लर्कीय कार्य, विश्लेषक
- गुरु-शनि संबंध – सरकारी बैंक सेवा
- द्वितीय भाव में उदय लग्नेश – धन क्षेत्र में कार्य
- अष्टम/एकादश भाव बलवान – बीमा, निवेश, बैंकिंग का शोध/वित्तीय योजना
✨ सारांश
बैंकिंग सेवा योग मुख्यतः निम्न बातों पर आधारित है—
- द्वितीय भाव + दशम भाव समन्वय
- बृहस्पति की उत्तम स्थिति
- शुक्र-शनि का परस्पर संबंध
- गुरु की दृष्टि या मार्गदर्शन
- बुध-गुरु परस्पर कार्यवाही
इन योगों के सम्मिलन से जातक वित्त, बैंकिंग, बीमा, लेखा, निवेश, और बैंक अधिकारी पदों पर सफलता प्राप्त करता है।

