वृष राशि एवं वृष लग्नवालों (ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो) के लिए वार्षिक भविष्यफल (30 मार्च 2025 से 19 मार्च 2026 तक)

Sooraj Krishna Shastri
By -
0

🔮 श्रीसंवत् २०८२ (30 मार्च 2025 से 19 मार्च 2026 तक) वृष राशि एवं वृष लग्नवालों (ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो) के लिए वार्षिक भविष्यफल
वृष राशि एवं वृष लग्नवालों (ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो) के लिए वार्षिक भविष्यफल (30 मार्च 2025 से 19 मार्च 2026 तक)
वृष राशि एवं वृष लग्नवालों (ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो) के लिए वार्षिक भविष्यफल (30 मार्च 2025 से 19 मार्च 2026 तक) 



🔯 ग्रहीय गोचर के आधार पर वार्षिक फलविचार


🌑 शनि (Saturn) – परिश्रम, परीक्षा और कर्मफल के कारक

  • 30 मार्च 2025 को शनि कुम्भ राशि में – रजतपाद का दशम शनि
    🔹 नवीन संपर्कों से लाभ, पदोन्नति, सरकारी क्षेत्र में सफलता, वरिष्ठों से सहयोग।
  • 1 अप्रैल को शनि मीन राशि में प्रवेश करेंगेलौहपाद का एकादश शनि
    🔹 धनप्राप्ति के उत्तम योग, निवेश एवं साझेदारी से लाभ, बड़े भाई या मित्रों से सहयोग।
    🔸 परंतु मानसिक चिंता एवं सामाजिक दायित्वों में वृद्धि भी संभव।

🔧 शनि उपाय:

  • काले तिल, कंबल, लोहे का दान करें।
  • शनि मंत्र – ॐ शं शनैश्चराय नमः
  • शनिवार को तेल का दीपक जलाना, शनि को तिल का तेल चढ़ाना।
  • सुंदरकांड का साप्ताहिक पाठ करें।

🌘 राहु-केतु – रहस्यमय एवं मानसिक भ्रम के सूचक ग्रह

  • 30 मार्च को राहु मीन (11वाँ), केतु कन्या (5वाँ) – लौहपाद
    🔹 राहु – व्यापार, नौकरी में प्रगति, तकनीकी व ऑनलाइन क्षेत्र में सफलता।
    🔸 केतु – परिवार में अशांति, संतान पक्ष से मतभेद, चिंता, अध्ययन में विघ्न।

  • 9 मई को राहु कुम्भ (10वाँ), केतु सिंह (4था) – रजतपाद
    🔹 आकस्मिक धन लाभ, उच्च पद या पहचान, परंतु घर-परिवार में तनाव, यात्रा में बाधा

🔧 राहु-केतु उपाय:

  • नारियल और नीले फूल बहते जल में प्रवाहित करें।
  • “ॐ रां राहवे नमः” और “ॐ कें केतवे नमः” का जाप करें।
  • राहु-केतु बीज मंत्र का जाप या नवग्रह शांति करवाना लाभकारी।

🟡 गुरु (Jupiter) – ज्ञान, समृद्धि, स्वास्थ्य व धार्मिक कार्यों के कारक

  • 30 मार्च को गुरु वृष राशि में – ताम्रपाद का प्रथम गुरु
    🔸 मानसिक तनाव, असफलता, योजना में रुकावटें, आत्मविश्वास में कमी।

  • 15 मई को गुरु मिथुन में – ताम्रपाद का दूसरा गुरु
    🔹 विशेष धन लाभ, स्वास्थ्य में सुधार, संचार व लेखन से लाभ, वैचारिक स्पष्टता।

  • 21 अक्टूबर को गुरु कर्क में – रजतपाद का तीसरा गुरु
    🔸 हाथ, कंधे और वाणी संबंधी कष्ट, भूमि लेन-देन में सावधानी, माता से दूरी।

  • 4 दिसम्बर को पुनः वक्री होकर गुरु मिथुन में
    🔹 स्वर्णपाद का दूसरा गुरु, उत्तम धनलाभ, व्यापार और बुद्धि से सफलता।

🔧 गुरु उपाय:

  • पीली वस्तुएँ दान करें (चना, हल्दी, वस्त्र)।
  • “ॐ बृं बृहस्पतये नमः” जप करें।
  • गुरुस्तोत्र का नियमित पाठ करें।
  • जरूरत अनुसार पुखराज धारण करें।

📅 मासिक फल (संक्षिप्त सारणीबद्ध विवरण)

🌙 माह 📜 मुख्य घटनाएं और सावधानियाँ
अप्रैल योजनाओं से धनलाभ, पैरों और आंखों में कष्ट, कला से धनप्राप्ति, मित्रों से सहयोग।
मई धन-संपत्ति में कमी, गलत आर्थिक निर्णयों से कष्ट, यात्रा से लाभ, रोग भय।
जून चेहरे व सिर में कष्ट, परिवार में आर्थिक संकट, मानहानि परंतु व्यापार में लाभ।
जुलाई पारिवारिक भय, व्यापार में लाभ, यात्रा में सावधानी, स्वास्थ्य में सुधार।
अगस्त व्यापार में लाभ, वाद-विवाद में अपमान, वाहन सुख, जल से लाभ, शिक्षा में भ्रम।
सितम्बर भूमि विवाद, संतान की असफलता, आकस्मिक धनलाभ, संतान योग, वाहन लाभ।
अक्टूबर संतान को कष्ट, भाग्य में वृद्धि, प्रतियोगिता में सफलता, संपत्ति लाभ।
नवम्बर चिंता में कमी, शत्रु सक्रिय, मुकदमा कष्टप्रद, स्त्री स्वास्थ्य का ध्यान रखें।
दिसम्बर मुकदमे में हानि, अपमान का योग, परंतु नए धन के स्रोत खुलेंगे।
जनवरी 2026 विवादों से कष्ट, विदेश यात्रा से बचें, पिता का सहयोग, धन प्राप्ति।
फरवरी रुके कार्य पूर्ण होंगे, जांघ में कष्ट, सरकारी निर्णय पक्ष में, नौकरी में मतभेद।
मार्च योजना सफल, धनलाभ, सरकार से समर्थन, नौकरी में सुख, धन की बचत संभव।

🔖 विशेष सलाह और निष्कर्ष

  • धन-संबंधी स्थिति: वर्ष में कई अवसर पर आकस्मिक धनलाभ होंगे। योजनाएं लाभ देंगी, परंतु जल्दबाजी व गलत निर्णय से हानि हो सकती है।
  • स्वास्थ्य: हाथ, जांघ, कंधे, आंख, व नाभि क्षेत्र की समस्याओं की आशंका है – सतर्क रहें।
  • पारिवारिक जीवन: संतान से असंतोष, पत्नी को स्वास्थ्य संबंधी कष्ट, परंतु पिता से सहयोग मिलेगा।
  • व्यवसाय/नौकरी: व्यापार में लाभ, नौकरी में स्थान परिवर्तन या विवाद की संभावना, संपर्कों से लाभ होगा।
  • यात्रा: विदेश यात्रा संभव, परंतु रुकावटों व स्वास्थ्य बाधाओं के साथ।

🧘‍♀️ सामान्य उपाय (सभी महीनों के लिए उपयोगी)

  • हर गुरुवार व शनिवार को व्रत रखें।
  • तिल व काले वस्त्र का शनिवार को दान करें।
  • पुखराज, नीलम आदि रत्न प्रयोग से पूर्व ज्योतिष परामर्श अवश्य लें।
  • माता-पिता व गुरुजनों का आशीर्वाद लें, गृहशांति पाठ कराएं।

Post a Comment

0 Comments

Post a Comment (0)

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!